आदाब दोस्तों
एक नज़्म जिसका उन्वान है ........क्या यही कहानी है लोगों की ..........आप सभी को नज्र
क्या है आज ज़िन्दगी हमारी
दो राहों पर खड़ी बेचारी
दर्द झेलती बारी बारी
फिर भी कहती अभी न हारी
जीवन का बस नाम है लड़ना
यही ज़ुबानी है लोगों की
क्या यही कहानी है लोगों की
अमीरी का कहीं बजा बिगुल है
गरीबी की तो बत्ती गुल है
सड़क पे गर्मी सड़क पे सर्दी
बारिश में फुटपाथ का पुल है
जिसके नीचे सोती दुनिया
छत ये सुहानी है लोगों की
क्या यही कहानी है लोगों की
पैसे कि है ऊंची छोटी
निर्धनता की बेटी छोटी
भूख पर बिकती रहती इज्ज़त
कोठे पर नाचती रोटी
उस रोटी के लिए मिट गयी
आज जवानी है लोगों की
क्या यही कहानी है लोगों की
पैरों में पड़ते है छाले
दीवार गिरी घर में हैं जाले
हुई है लाजो अब सोलह की
चिंताएं हैं जीभ निकाले
कब होगी बिटिया कि शादी
ये हैरानी हैं लोगों की
क्या यही कहानी लोगों की
चलने का है नाम ज़माना
मेहमानों का आना जाना
चिड़िया चहकी लोग खड़े हैं
आया कोई जाना पहचाना
अंतिम सत्य यही है बंधू
कब्र निशानी है लोगों की
क्या यही कहानी है लोगों की
रंजीत
इस नज़्म के कुछ और बंद बाद में अर्ज़ करूंगा..............
Monday, May 3, 2010
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dear chauhan ur nazm is veri nice...
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
Hello :)
ReplyDeleteAapne itna sab kuch kaise likha..?
Mujhe wo ghazal ki line yaad aa gayi...
"Channdd saansein khareedne ke liye,
Roz thodi si zindagi beychii"
I liked each n every word written in this post!
Very nice
" बाज़ार के बिस्तर पर स्खलित ज्ञान कभी क्रांति का जनक नहीं हो सकता "
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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