आदाब दोस्तों
एक ग़ज़ल जो कभी कही गयी थी नज्र है आपकी समातों को .............
जब मेरी तबाहियों पर, मुंसिफी की जाएगी
खुदा जाने किस तरह से, शायरी की जाएगी
तू तस्सव्वुर तो ज़रा कर, इश्क की बरबादियाँ
तुझसे जीते जी कहाँ, ये खुदकुशी की जाएगी
जब समन्दर सूख जायेगा, किसी की याद में
तब किसी के आसुओं से, दिल्लगी की जाएगी
चाँद के आगोश में ,सूरज भी जब ढल जायेगा
फिर जला के दिल हमारा, रौशनी की जाएगी
दोस्तों से दोस्ती , छोडो मियां रहने भी दो
अब तो बस दुश्मनों से दुश्मनी की जाएगी
रंजीत........
कुछ शेर आपके हवाले बाद में भी करूंगा इस ग़ज़ल के ......................तैयार रहिये
Saturday, May 8, 2010
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तू तस्सव्वुर तो ज़रा कर, इश्क की बरबादियाँ
ReplyDeleteतुझसे जीते जी कहाँ, ये खुदखुशी की जाएगी
वाह बहुत खूब ......ये खुदखुशी.....???
जब समन्दर सूख जायेगा, किसी की याद में
तब किसी के आसुओं से, दिल्लगी की जाएगी
वाह....वाह.....!!
चाँद के आगोश में ,सूरज भी जब ढल जायेगा
फिर जला के दिल हमारा, रौशनी की जाएगी
बहुत खूब .....!!
गज़ब लिखते हैं आप .......ये शे;र हम लिए जाते हैं ......!!
जब समन्दर सूख जायेगा, किसी की याद में
ReplyDeleteतब किसी के आसुओं से, दिल्लगी की जाएगी
I did like it...
आपकी ओरिजिनल सोच ही कमाल करती है। समन्दर सूखने वाला शे'र पूरा का पूरा लाजवाब है।
ReplyDeleteखुदखुशी में शायद दूसरा 'ख' की जगह 'क' होना था, इस पर 'हीर' जी ने सवालिया निशान लगाया है। अगर ऐसी बात है तो सुधार लें, वर्ना चलने दें।
आपके कलाम की महक धीरे-धीरे फैल रही है, गुलशन आबाद होने को है।
शुभकामनाएँ,
तू तस्सव्वुर तो ज़रा कर, इश्क की बरबादियाँ
ReplyDeleteतुझसे जीते जी कहाँ, ये खुदखुशी की जाएगी
chauhan jee is sher ne dil jeet liya...baht khoob
harkeerat heer ji, himanshu ji , sumit, yogesh jee bahut shukriya aap sabhee ka .....
ReplyDeletehimanshu saab vo galti se type ho gaya tha theek ho gaya hai......
तू तस्सव्वुर तो ज़रा कर, इश्क की बरबादियाँ
ReplyDeleteतुझसे जीते जी कहाँ, ये खुदकुशी की जाएगी
Ghazab dhaya hai bade bhai....! Waaaaaaaaaaaaaah !
जब समन्दर सूख जायेगा, किसी की याद में
तब किसी के आसुओं से, दिल्लगी की जाएगी
subhanallah...... kya karara sher kaha hai ustaad !
Main badi shiddat se intezaar mein hoon aur sheron ke.....