Monday, April 12, 2010

......

आदाब दोस्तों

आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ कि आप सभी ने अपने बेशकीमती वक़्त से थोडा सा वक़्त इस नाचीज़ के लिए भी मुनक्कित किया है। मैं आपको भरोसा देता हूँ यहाँ से कुछ कुछ आपको ले जाने के लिए और अपनी ज़िन्दगी में अमल करने के लिए ज़रूर मिलेगा। आप से गुज़ारिश है कि आप ऐसे ही आते रहे और अपना बेशकीमती मशविरा ज़रूर दे जो मुझे एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करे। तो आयिए चले एक ऐसी दुनिया में जहाँ सिर्फ और सिर्फ अदब और तहजीब हमारी रहनुमाई करे अपने इस हसरत भरे शेर के साथ कि

वक़्त अगर आया तो पढूंगा कब्र पर अपनी
ज़िन्दगी बस तू मुकम्मल मेरी ग़ज़ल कर दे



आपके दुवाओं के इंतज़ार में
आपका अपना
रंजीत चौहान

1 comment:

  1. जहां भी दर्द हो मिल बांट भोगूं ये तमन्ना है
    गरीबों के लिये मेरा ह्रदय इतना विकल कर दे.

    रंजीत जी बहुत-बहुत शुभकामनायें.

    ReplyDelete