दोस्तों एक ग़ज़ल आप सभी की ज़नातों को नज्र
या तो खुले दिल से अपना ले मुझे
या तहे दिल से आजमा ले मुझे
खुद में कब तक सिमटता रहूँगा भला
उससे कह दो कि दिलसे निकाले मुझे
इससे पहले कि, मैं लडखडा के गिरूँ
मैकदे से कहो ,कि सभाले मुझे
क्या कहा तुमने , गम चाहिए उसे
मैं समन्दर हूँ , आके खंगाले मुझे
मर रहा हूँ मैं ,हर एक लम्हा यहाँ
मार दे ऐ खुदा, और बचाले मुझे
रंजीत
Wednesday, April 14, 2010
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roz aise hi kalaam
ReplyDeletelikhte raho "Chauhan"
दिलवालों की इस मेहफिल में, वो भी बुलाये जायेंगे
ReplyDeleteचराग बुझाये जायेंगे पर , दिल तो जलाये जायेंगे
आखों ने दावत भेजी है , आज समंदर को शायद
अश्क बहाए जायेंगे और , कतरे बचाए जायेंगे
सबने मेरे जज्बातों पर, अपनी बाज़ी खेली है
कहीं जिताए जायेंगे ,तो कहीं हराए जायेंगे
मेरी ग़ज़लें गाते रहना , शेर कहीं न सो जाएँ
जब भी सुलाए जायेंगे हम नहीं जगाये जायेंगे
Shabdon se mehfil saja di hain janab!!!!!!!!!!
Hum Bhi aana chahenge...........
Classsic miyan
Wah Wah kya baat hai
ReplyDeleteapne khayalath ka kia acche se izhar kia hai janab
bohot khub hum to aap ke pankhe hogaye ....!!!!