दोस्तों
ये ग़ज़ल भी समात कर लें .........
सच है ख्याल उनका तो आता है रात दिन
उस पर ये चाँद भी तो चिढाता है रात दिन
गिरता हूँ जाके रोज़ ही दैरो हरम में मैं
अल्लाह नहीं साकी उठाता है रात दिन
नज़रों से वो नज़र तो मिलाता नहीं मगर
नज़रें झुका के पर वो सताता है रात दिन
इक दिन दिले जाना से जो कुछ बात हो गयी
हर बात में वह बात बताता है रात दिन
इक दिन मैं रूठ के जो मैकदे से आ गया
वो प्यास बढ़ा कर के मनाता है रात दिन.........
( दैरो हरम = मंदिर मस्जिद )
रंजीत
Tuesday, April 27, 2010
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Hello,
ReplyDeleteनज़रों से वो नज़र तो मिलाता नहीं मगर
नज़रें झुका के पर वो सताता है रात दिन
Bahut khoob! Itna achha likha hai... Marvellous!
And, thanks for your comments on my blog.
Regards,
Dimple
http://poemshub.blogspot.com
nice gazal...
ReplyDeleteआपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
ReplyDeleteबहुत ही गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार ग़ज़ल लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है! इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई!
सच है ख्याल उनका तो आता है रात दिन
ReplyDeleteउस पर ये चाँद भी तो चिढाता है रात दिन
सुभानाल्लाह .....हजूर कहाँ थे अब तक ....??
इक दिन मैं रूठ के जो मैकदे से आ गया
वो प्यास बढ़ा कर के मनाता है रात दिन........
आप रूठा करें ,वो मनाते रहें
सिलसिला ये चलता रहे रात दिन .....
दोस्तों
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आप सभी का
मैं इस ब्लॉग कि दुनिया का नया परिंदा हूँ ...तो आप सब से गुज़ारिश है कि आप मेरे पुराने कलाम भी देखें जो मैंने चंद दिनों पहले यहाँ पोस्ट किये थे ..यक़ीनन मेरा हौसला और बढेगा ....
आप सब सिर्फ ताज़ा ग़ज़लें देख कर चले जाते हैं .............आपसे गुज़ारिश है कि मेरा मन रखने के लिए ही सही पर उन्हें एक बार देखें तो , मैंने अपने ख्वाबों के शायरों, जनाब जोन अलीया, खुमार बाराबंकवी, बशीर बद्र , पीरजादा कासिम , कि ज़मीन पर कुछ कहने कि मुसलसल कोशिशें की हैं ताकि जो शायर ज़न्नत नशी हो गये हैं वो हमारी यादों में रहें और जो हयात हैं वो हमारी रहनुमाई करते रहे जिससे हम अदब, तहज़ीब मोहब्बत को सारी दुनिया में ले जा सके जो ज़िम्मेदारी इन शोहरा ने हमे सौपी है और हमे इसकी पैहम तालीम दे रहे हैं.....
उम्मीद है कि इस तन्हाई को आप कारवां बनायेंगे
Khub bahut khub - wish we cud hv had d pleasure of listening to u in person today - d ghazal that u did not share !
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