Monday, April 12, 2010

आदाब दोस्तों कुछ अशआर आपके लिए .....एक ग़ज़ल के शेर .....

दिलवालों की इस मेहफिल में, वो भी बुलाये जायेंगे
चराग बुझाये जायेंगे पर , दिल तो जलाये जायेंगे

आखों ने दावत भेजी है , आज समंदर को शायद
अश्क बहाए जायेंगे और , कतरे बचाए जायेंगे

सबने मेरे जज्बातों पर, अपनी बाज़ी खेली है
कहीं जिताए जायेंगे ,तो कहीं हराए जायेंगे

मेरी ग़ज़लें गाते रहना , शेर कहीं सो जाएँ
जब भी सुलाए जायेंगे हम नहीं जगाये जायेंगे

रंजीत


रंजीत चौहान

2 comments:

  1. Ajee wah, bahut sunder
    kya kehne

    likhte raho isse bhee aur achaa

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  2. Bahut Bahut Bahut!!!!!!!!!Badhiya

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